मंगलवार, 10 जून 2014

~~गाँव ~~


-----------(१)
गंध माटी की !
हरियाले से गाँव !
पेड़ों की छाँव !

-------------(2)

खुले हैं खेत !
हलधर किसान !
गोबर गाय !

---------------(३)

माँ के हाथों !
जीवन महकाए !
रोटी चूल्हे की !
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-----अलका गुप्ता----
~~~~~तस्वीर ~~~~~


फाड़ कर यूँ तस्वीर हैरान हूँ |
हँसती रही यादें मैं वीरान हूँ |
तेरी बेवफ़ाइयों के सितम हैं ..
फिर भी क्यूँ ...मैं परेशान हूँ ||

----------अलका गुप्ता----------

Fad kar yun tasvir hairaan hun.
Hansti rahi yaaden main veeraan hun.
Teri bevafaaiyon ke sitam hain ...
Fir bhi kyun....main pareshaan hun .

--------------------Alka Gupta---------------