शनिवार, 23 अगस्त 2014

मैं मैं करता मैं मरा ,सब कुछ यहाँ समाय |
मैं मारा..मन को जरा , तुझ में गया विलाय ||(१)

मेरा मुझको चाहिए , हक़ में जितना आय |
कायर सा भी क्या जियूँ ,हक़ अपना मरवाय ||(2)

-------------------अलका गुप्ता-------------------

अलका भारती: कहा ..यूँ ..उस.. संगतराश से..मरमरी... उन पत्थरों न...

अलका भारती: कहा ..यूँ ..उस.. संगतराश से..मरमरी... उन पत्थरों न...: कहा ..यूँ .. उस.. संगतराश से.. मरमरी... उन पत्थरों ने|| चाहें ..कितनी ही... हथौड़ी ..या.. छेनी... तू चला || घाव जो.. रिसने लगें ... हर आह ! ...

अलका भारती: अलका भारती: हसीं वादों के किस्से आज भी लरजते हैं |...

अलका भारती: अलका भारती: हसीं वादों के किस्से आज भी लरजते हैं |...: अलका भारती: हसीं वादों के किस्से आज भी लरजते हैं |धूमिल से वो ... : हसीं वादों के किस्से आज भी लरजते हैं | धूमिल से वो अक्स आँखों में गुजरते...

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शुक्रवार, 18 जुलाई 2014

अलका भारती

अलका भारती--

वांचती सम्वेदनाएँ जो ...
बाँट देती सहेज कर वो ||



काहे का भय है काले विषधर नाग से|
डर है दिल काले जिन कपड़े झाग से |
डसलें स्वार्थी जो ..वतन की आन को ..
दुष्कर्मों से खेलें ...निर्दोषों के भाग से ||

--------------अलका गुप्ता----------------

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रविवार, 13 जुलाई 2014

नाजुक कली अभी खिली नहीं |
काँटों से बचके कभी चली नहीं |
भूखी है आरजू मासूम..राहों पर...
आहट..रोटी सी अभी मिली नहीं ||

------------- अलका गुप्ता----------------
 
मैं देवी..कोई पत्थर की मूरत नहीं |
राहों में पड़े.. कंकड़ की सूरत नहीं |
हैं अरमान जिन्दा..अहसासों में मेरे ..
हक़ में दाबेदार... क्या औरत नहीं ||

-------------अलका गुप्ता----------------

Main devi.. kaoi patthar ki moorat nahin.
Rahon men pade..kankad ki soorat nahin .
Hain armaan jinda ...ahsaaon men mere...
haq men daavedaar ..kya aurat nahin .

--------------------Alka Gupta--------------------

अलका भारती

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अलका भारती

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हमारी ख़ुशी का है आलम ये देखिए |
तिमंजली इस इमारत की शान देखिए |
सुकून का पल है ये कोई गर्दिश नहीं ...
रहने को ठिया है आज..न कम आंकिए ||

-----------------#अलका गुप्ता
-----------------

मंगलवार, 10 जून 2014

~~गाँव ~~


-----------(१)
गंध माटी की !
हरियाले से गाँव !
पेड़ों की छाँव !

-------------(2)

खुले हैं खेत !
हलधर किसान !
गोबर गाय !

---------------(३)

माँ के हाथों !
जीवन महकाए !
रोटी चूल्हे की !
|
-----अलका गुप्ता----
~~~~~तस्वीर ~~~~~


फाड़ कर यूँ तस्वीर हैरान हूँ |
हँसती रही यादें मैं वीरान हूँ |
तेरी बेवफ़ाइयों के सितम हैं ..
फिर भी क्यूँ ...मैं परेशान हूँ ||

----------अलका गुप्ता----------

Fad kar yun tasvir hairaan hun.
Hansti rahi yaaden main veeraan hun.
Teri bevafaaiyon ke sitam hain ...
Fir bhi kyun....main pareshaan hun .

--------------------Alka Gupta---------------

शनिवार, 3 मई 2014

पत्थरों ने.....यूँ कहा

कहा ..यूँ ..
उस.. संगतराश से..
मरमरी... उन पत्थरों ने||

चाहें ..कितनी ही...
हथौड़ी ..या.. छेनी...
तू चला ||

घाव जो..
रिसने लगें ...
हर आह ! पे ...
गीत उगने लगें ||

शेर कहने की तमन्ना...
पत्थरों के दिल में हैं ||

आज वह ...
दर्द-ए-ग़जल में...
पिघलने लगें ||

---------अलका गुप्ता ----------

अलका भारती: अलका भारती: हसीं वादों के किस्से आज भी लरजते हैं |...

अलका भारती: अलका भारती: हसीं वादों के किस्से आज भी लरजते हैं |...: अलका भारती: हसीं वादों के किस्से आज भी लरजते हैं |धूमिल से वो ... : हसीं वादों के किस्से आज भी लरजते हैं | धूमिल से वो अक्स आँखों में गुजरते...

अलका भारती: डरो बेशक ..मगर उसके सम्मान के हरण में ...करो ना ...

अलका भारती: डरो बेशक ..मगर उसके 
सम्मान के हरण में ...
करो ना ...
: डरो बेशक ..मगर उसके  सम्मान के हरण में ... करो ना सम्मान बेशक .. एक इंसान तो समझो | वरना हर पल वह ... अपने होने से ... देती सबको ही......

बुधवार, 23 अप्रैल 2014

अलका भारती: हसीं वादों के किस्से आज भी लरजते हैं |धूमिल से वो ...

अलका भारती: हसीं वादों के किस्से आज भी लरजते हैं |धूमिल से वो ...: हसीं वादों के किस्से आज भी लरजते हैं | धूमिल से वो अक्स आँखों में गुजरते हैं | हम तो पड़े हैं उन्हीं राहों में ठोकरों तले ... जिनसे आज भी मु...

अलका भारती: हसीं वादों के किस्से आज भी लरजते हैं |धूमिल से वो ...

अलका भारती: हसीं वादों के किस्से आज भी लरजते हैं |धूमिल से वो ...: हसीं वादों के किस्से आज भी लरजते हैं | धूमिल से वो अक्स आँखों में गुजरते हैं | हम तो पड़े हैं उन्हीं राहों में ठोकरों तले ... जिनसे आज भी मु...
हसीं वादों के किस्से आज भी लरजते हैं |
धूमिल से वो अक्स आँखों में गुजरते हैं |
हम तो पड़े हैं उन्हीं राहों में ठोकरों तले ...
जिनसे आज भी मुस्करा कर वो गुजरते हैं ||

-----------------अलका गुप्ता ------------------

Hansin vaadon ke kisse aaj bhi larjte hain .
Dhumil se vo aks aankhon se gujarte hain .
Ham to pade hain unhin raahon men thokron tale ... 
Jinse aaj bhi muskra kar vo gujarte hain .

------------------------Alka Gupta--------------------------

रविवार, 23 मार्च 2014

चले थे इसी जुस्तजू में |
कोई किनारा ना मिला ||

इस कदर भटके भंवर में |
कोई सहारा ना मिला ||

डूबती नैय्या सफर में |
कोई माँझी ना मिला ||

हवाओं की जुस्तजू में |
साधता मस्तूल ना मिला ||

तिश्नगी मिटती कहाँ ..
कफ़स -ए-रवायत में ||

मशरूफ हैं ..तड़पाने में |
जो अश्के लहू ना मिला ||

जिन्दा हैं वो उसी कारबार में |
कम कफ़न से दाम ना मिला ||

-----------अलका गुप्ता ----------