शुक्रवार, 9 सितंबर 2022

ये तस्वीर क्या कहती है _

शीर्षक_झमेला भूख का 

जन्म से मृत्यु पर्यन्त इसे
झेला ही झेला है । 
भूख है जिंदा भूख का ही
सारा झमेला है ॥ 

टूट गई कमर..उम्र की
दोहरी हुई बेशक...
उड़ गए परिंदे..मुकाम पर 
कब्र की..तू अकेला है ॥ 

आग है यही दोजख की  
ऐ ख़ुदा तूने ही धकेला है। 
कोई नहीं किसी का...
हर कोई यहाँ अकेला है ॥ 

बुझ गई आज..कल का
फ़िर यही झमेला है। 
धरें आधार कर्म के..जुड़े 
विधि विधान ये मेला है ॥
 
तुझे न मुझे ..ले जाना...
हाथ नहीं एको धेला है ।
हैं पेट के ताम झाम..चले
इसी पे..सारा खेला है ॥ 

______अलका गुप्ता 'भारती'__

बुधवार, 3 फ़रवरी 2021

माँझी रे


ले चल नैय्या.. माँझी रे !
उस क्षितिज के पास |
अरुणिम आतुर मिलन को..
धरती ..ये आकाश ||

साँझ की बेला है ..
सूरज आज अकेला है |
लहरों का मंथर मिलन..
ये प्रतिबिम्ब अलबेला है ||

ले चल नैय्या ..माँझी रे !
उस क्षितिज के पास |
ओट अवगुंठन नयन निहारें..
मिलन को आतुर आस ||

निशा विकल बाँहें प्रसार ..
श्यामल आंचल चन्द्रतारक डाल |
आतुर आलिंगन को प्रगाढ़ ..
झाँपती सी ब्रहम्हांड झुका भाल ||

झिलमिल उर्मि दर्पण में ..
झाँकती ये मुस्कान ..
विमुग्ध भाव-भीनी सी यौवन लाज 
रास रचाएँगे ज्यों ..
मिलन प्रिय !..मधु से आज ||

ले चल नैय्या.. माँझी रे !
उस क्षितिज के पास ||

__________अलका गुप्ता 'भारती'__

सोमवार, 17 अगस्त 2015

चंद हाईकू -



बढ़ा तू हाथ !
भूल सारे विषाद !
पीछे से हँसी ! 

नन्हीं सी ख़ुशी !
हँसेगा सारा जहाँ !
तेरे साथ ही ! 

जिन्दगी तेरी !
बिताना क्या गमों में !
ढूंढ ले खुशी ! 

कर श्रृंगार !
हृदय गुलाब से !
सहज कर ! 

नियामत है !
तोहफ़ा है जिन्दगी !
है बंदगी भी !

-------अलका गुप्ता -------

गुरुवार, 8 जनवरी 2015

~~~~अभिलाषा~~~~



~~~~अभिलाषा~~~~
~~~~~~~~~~~~~~~
अंघकार विराट...जब.. छा जाए |
मानव हे ! मन जब..घबरा जाए ||
प्रज्वलित शिखा मेरी तुम कर देना |
जलजल तन ये चाहें पिघल जाए ||
अभिलाषा उर में ...बस इतनी ही ..
हर तन-मन प्रकाशित सा दमकाए ||
हो विलग मनहूस अँधेरे....भागें दूर ..
जीवन का हर क्षन रौशन हुलसाए ||
मैं शम्मा हूँ तन्हा ..ही जल जाऊँगी |
जीवन से जला हर तन्हाई जाऊँगी ||
---------------अलका गुप्ता----------------

सोमवार, 5 जनवरी 2015

परमात्मा

ईश ! वही परमपिता परमात्मा..एक है !
आत्मा प्रकृति ..रूप परिवर्तित अनेक है !
स्वामी एक वही सबका..अजर अमर वो..
घट-घट..व्यापी न्यायी उपकारी नेक है !!
----------------‪#‎अलका‬ गुप्ता----------------