शुक्रवार, 31 अक्तूबर 2014

चित्र की प्रेरणा से उभरे ये भाव ---सादर आपके सम्मुख हैं साथियों !!!--  

फूट पड़ी वो.. ठूँठ शजर की.. डूब रही ...जो डाली है |
छटा मनोरम आँजती झूमें प्रकृति इशारे मतवाली है|
रूप अनुपम आँकता प्रतिबिम्ब सच्चिदानंद निरंतर...
अद्भुत आतुर जीजिविषा में..हो निमग्न हरियाली है ||
----------------------अलका‬ गुप्ता---------------------


बुधवार, 22 अक्तूबर 2014

प्रेम ज्योति

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ..!!!  

आशीष माँ शारदे संग कृपा लक्ष्मी-गणेश की भी पा जाएँ |
सद-बुद्धि शुभ-लाभ संग मानवता ये प्रकाशित कर पाएँ ||
ज्योति से ज्योति...मिलकर आओ प्रज्वलित कर जाएँ |
समिधा सी ..द्वंद सारे ..अंतर्मन के..बलिवेदी पर चढाएँ ||
भूलकर वैमनष्य भाव सारे परस्पर प्रेम ज्योति जलाएँ |
बाँटकर सब ओर उजाला मोम से हम बेशक पिघल जाएँ ||
अंधकार दूर धरा से ..अज्ञान ये सारा डटकर दूर भगाएँ |
आलोकित कर मानवता को नया सा इतिहास लिख जाएँ ||

----------------------अलका गुप्ता------------------------