गुरुवार, 8 जनवरी 2015

~~~~अभिलाषा~~~~



~~~~अभिलाषा~~~~
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अंघकार विराट...जब.. छा जाए |
मानव हे ! मन जब..घबरा जाए ||
प्रज्वलित शिखा मेरी तुम कर देना |
जलजल तन ये चाहें पिघल जाए ||
अभिलाषा उर में ...बस इतनी ही ..
हर तन-मन प्रकाशित सा दमकाए ||
हो विलग मनहूस अँधेरे....भागें दूर ..
जीवन का हर क्षन रौशन हुलसाए ||
मैं शम्मा हूँ तन्हा ..ही जल जाऊँगी |
जीवन से जला हर तन्हाई जाऊँगी ||
---------------अलका गुप्ता----------------

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