हमारे ब्लॉग में जीवन और सामाजिक मुद्दों पर मेरे कुछ प्रेरक उदगार है मुझे पूरा विश्वास है कि वह आपको भी अपने अंदाज में अवश्य छू पाएंगे, क्योंकि यदि आप सहृदय हैं.तब वह आपकी भी अनुभूतियाँ अवश्य ही हैं.
शनिवार, 3 मई 2014
पत्थरों ने.....यूँ कहा
कहा ..यूँ .. उस.. संगतराश से.. मरमरी... उन पत्थरों ने||
चाहें ..कितनी ही... हथौड़ी ..या.. छेनी... तू चला ||
घाव जो.. रिसने लगें ... हर आह ! पे ... गीत उगने लगें ||
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