बुधवार, 17 दिसंबर 2014

अलका भारती: इंसानियत के कातिल

अलका भारती: इंसानियत के कातिल: घात ये इन्सानियत के कातिलों के | रिसते रहंगे घाव घातक घायलों के | दहलें दिल दहशते दारुण आघात से.. धर्म है पीना लहू लाल-लाल लालों ...

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