घायल मन अनंग .. नयनन हिं सों .. खेलन लगे रास |मुक्त हुए तीक्ष्ण वाणों से बंधन ये .. लाज गुंफन फांस | रचने लगे तप्त अधरों से यक्ष-यक्षिणी गीत बुन्देली राग ..अमर हुए पर्व वो..आलिंगन विस्मृति से भीगे इतिहास ||----------------------अलका गुप्ता -------------------------
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