हमारे ब्लॉग में जीवन और सामाजिक मुद्दों पर मेरे कुछ प्रेरक उदगार है मुझे पूरा विश्वास है कि वह आपको भी अपने अंदाज में अवश्य छू पाएंगे, क्योंकि यदि आप सहृदय हैं.तब वह आपकी भी अनुभूतियाँ अवश्य ही हैं.
रविवार, 1 दिसंबर 2013
जिन्दगी
-----जिन्दगी----
दर्दे सैलाब में डुबकियाँ लगाती रही जिन्दगी | नश्तर कभी काँटे भी ...चुभाती रही जिन्दगी | हँसती रही...जिन्दगी..उड़ा कर हँसी बेशर्म सी... रौशनी सी दिखी...कभी जलाती रही जिन्दगी ||
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