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गाँव बोला शहर से कच्ची सड़क से चला था मैं |
सीमेंट के इन जंगलों में ठगा सा रह गया हूँ मैं |
बुत हुए पत्थर के आदमी की मैं बाँचता संवेदनाएँ
झूमती थीं बीच में जो हरयाली के ढूंडता उन्हें मैं ||
-------------------अलका गुप्ता --------------------
ganv bolaa shahr se kachchi sadak se chlaa tha main .
siment ke in janglon men thagaa saa rah gyaa hun main .
but hue ptthar ke aadmii ki main baanchtaa samvednaaen .
jhumti thin biich men jo hariyaalii ke dhundtaa unhen main .
-----------------------------A lka Gupta------------------------- ---------
गाँव बोला शहर से कच्ची सड़क से चला था मैं |
सीमेंट के इन जंगलों में ठगा सा रह गया हूँ मैं |
बुत हुए पत्थर के आदमी की मैं बाँचता संवेदनाएँ
झूमती थीं बीच में जो हरयाली के ढूंडता उन्हें मैं ||
-------------------अलका गुप्ता --------------------
ganv bolaa shahr se kachchi sadak se chlaa tha main .
siment ke in janglon men thagaa saa rah gyaa hun main .
but hue ptthar ke aadmii ki main baanchtaa samvednaaen .
jhumti thin biich men jo hariyaalii ke dhundtaa unhen main .
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