बुधवार, 20 फ़रवरी 2013

मशगूल न हो जाइए !
देखिए इधर भी ....
आह !! हैं हम बदनसीब सी ।
तड़फ इक बेचैन सी ।
सिसकी दर्दनाक भी ।
किसी इन्सान या बेजुवान की ।
फर्क कुछ नही!!
बस !!! चाहिए ध्यान ।
आपका .............।
इक निगाह तो उठा !
हाथ उठें ना बेशक ....
बस एक हांक तो लगा !!
दौड़ कर आएगा ...........
कोई जरुर .........
कि अभी इंसानियत ,
पूरी मरी भी नहीं !!
पूरी मरी भी नहीं !!
----अलका गुप्ता ---

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