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शुक्रवार, 31 अक्तूबर 2014

चित्र की प्रेरणा से उभरे ये भाव ---सादर आपके सम्मुख हैं साथियों !!!--  

फूट पड़ी वो.. ठूँठ शजर की.. डूब रही ...जो डाली है |
छटा मनोरम आँजती झूमें प्रकृति इशारे मतवाली है|
रूप अनुपम आँकता प्रतिबिम्ब सच्चिदानंद निरंतर...
अद्भुत आतुर जीजिविषा में..हो निमग्न हरियाली है ||
----------------------अलका‬ गुप्ता---------------------