हमारे ब्लॉग में जीवन और सामाजिक मुद्दों पर मेरे कुछ प्रेरक उदगार है मुझे पूरा विश्वास है कि वह आपको भी अपने अंदाज में अवश्य छू पाएंगे, क्योंकि यदि आप सहृदय हैं.तब वह आपकी भी अनुभूतियाँ अवश्य ही हैं.
मंगलवार, 31 दिसंबर 2013
गुरुवार, 19 दिसंबर 2013
डरो बेशक ..मगर उसके
सम्मान के हरण में ...
करो ना सम्मान बेशक ..
एक इंसान तो समझो |
वरना हर पल वह ...
अपने होने से ...
देती सबको ही...
सुकून है |
व्यक्तित्व है वह भी...एक
जीवन में उसके भी...
होते हैंअरमान...अनेक |
माँ बेटी बहन पत्नी !
तमाम रिश्तों में ही वह ....
बता दो !...किस पल
साथ नहीं सबके ...
वह होती है |
रहस्यमयी वह हरगिज नहीं !
बस जिज्ञासाओं की...
नियत तेरी !...
हद से पार ...
झिंझोड़ने की होती है !
वरना वह तो ...
स्नेह प्यार दुलार ...
और त्याग की...
मूरत होती है |
पहले सबसे माँ सी ...
उसकी सूरत होती है ||
-------------अलका गुप्ता ---------------
सम्मान के हरण में ...
करो ना सम्मान बेशक ..
एक इंसान तो समझो |
वरना हर पल वह ...
अपने होने से ...
देती सबको ही...
सुकून है |
व्यक्तित्व है वह भी...एक
जीवन में उसके भी...
होते हैंअरमान...अनेक |
माँ बेटी बहन पत्नी !
तमाम रिश्तों में ही वह ....
बता दो !...किस पल
साथ नहीं सबके ...
वह होती है |
रहस्यमयी वह हरगिज नहीं !
बस जिज्ञासाओं की...
नियत तेरी !...
हद से पार ...
झिंझोड़ने की होती है !
वरना वह तो ...
स्नेह प्यार दुलार ...
और त्याग की...
मूरत होती है |
पहले सबसे माँ सी ...
उसकी सूरत होती है ||
-------------अलका गुप्ता ---------------
............ताली .............
सन्मार्ग के हम ...पथिक हों |
प्रेम पथ का सदा विस्तार हो |
हों ..छल कपट से दूर सभी ..
कुंजी..सत्कर्म भी ..साथ हो ||
संस्कार का..न कभी ..भी ह्रास हो |
सम्मान में दूजे के भी ....मान हो |
भ्रष्ट ना कोई भी... यहाँ इंसान हो |
उत्कृष्ट चाभी ..सदा यही.. साथ हो ||
कदमों का ..बढ़ते हुए सब साथ हो |
निज स्वार्थ कर्म का ..परित्याग हो |
सत्कर्म और कर्तव्य में सौभाग्य हो |
मिलाएं हाथ इस ताली से विस्तार हो ||
-----------------अलका गुप्ता ---------------
सन्मार्ग के हम ...पथिक हों |
प्रेम पथ का सदा विस्तार हो |
हों ..छल कपट से दूर सभी ..
कुंजी..सत्कर्म भी ..साथ हो ||
संस्कार का..न कभी ..भी ह्रास हो |
सम्मान में दूजे के भी ....मान हो |
भ्रष्ट ना कोई भी... यहाँ इंसान हो |
उत्कृष्ट चाभी ..सदा यही.. साथ हो ||
कदमों का ..बढ़ते हुए सब साथ हो |
निज स्वार्थ कर्म का ..परित्याग हो |
सत्कर्म और कर्तव्य में सौभाग्य हो |
मिलाएं हाथ इस ताली से विस्तार हो ||
-----------------अलका गुप्ता ---------------
दिए गए चित्र पर भाव-अभिव्यक्ति...आपके समक्ष मित्रों !!!
इस करीने से ...सजा है क्या ..?
नाम तक मैं जानना चाहता नहीं !
भोग कहीं ...छप्पन तो नहीं !
मर रहा भूख से बेहाल कहीं !
ख्वाब भी ...हसीन है..जो ...
नसीब हुई रोटी भी सूखी कहीं !!
चढ़ रहे... मंदिरों में भोग हैं |
रुल रहे रस रसीले संजोग हैं |
ठाठ बाट में हैं देव पाषाण वहीँ ..
भूखा मरे कोई अजब संजोग हैं ||
चादरें चढती ..रहीं मजारों पर
इंसानियत के ..उन निशानों पर
मर गया कोई वहीँ ...नग्न ही ...
ठंडी सी ...पथरीली उन्हीं राहों पर ||
ख़्वाब भी देखा नहीं था भरी थाली का कभी |
रुखा -सूखा ही बहुत हुआ मिल जाए जो कभी |
यहीं कहीं फुटपाथ पे ...जिन्दगी यूँ ही कटती रही...
सोया भी सुकून से बेशक !तन पे कपड़ा न हो कभी ||
देखना क्या ..उस भरी थाली को ..
जों अपने नसीब में तो हरगिज नहीं !
इस करीने से... सजा है वह ..क्या ..?
नाम तक वह ..जानना चाहता नहीं !!
--------------------------अलका गुप्ता ----------------------------
इस करीने से ...सजा है क्या ..?
नाम तक मैं जानना चाहता नहीं !
भोग कहीं ...छप्पन तो नहीं !
मर रहा भूख से बेहाल कहीं !
ख्वाब भी ...हसीन है..जो ...
नसीब हुई रोटी भी सूखी कहीं !!
चढ़ रहे... मंदिरों में भोग हैं |
रुल रहे रस रसीले संजोग हैं |
ठाठ बाट में हैं देव पाषाण वहीँ ..
भूखा मरे कोई अजब संजोग हैं ||
चादरें चढती ..रहीं मजारों पर
इंसानियत के ..उन निशानों पर
मर गया कोई वहीँ ...नग्न ही ...
ठंडी सी ...पथरीली उन्हीं राहों पर ||
ख़्वाब भी देखा नहीं था भरी थाली का कभी |
रुखा -सूखा ही बहुत हुआ मिल जाए जो कभी |
यहीं कहीं फुटपाथ पे ...जिन्दगी यूँ ही कटती रही...
सोया भी सुकून से बेशक !तन पे कपड़ा न हो कभी ||
देखना क्या ..उस भरी थाली को ..
जों अपने नसीब में तो हरगिज नहीं !
इस करीने से... सजा है वह ..क्या ..?
नाम तक वह ..जानना चाहता नहीं !!
--------------------------अलका गुप्ता ----------------------------
रविवार, 1 दिसंबर 2013
सदस्यता लें
संदेश (Atom)