रविवार, 22 दिसंबर 2013

ये हमारा दिल है... कोई... खेल खिलौना नहीं |
चाहा..जब खेल लिया ...या कोई तवज्जो नहीं | 
हाड़ मांस का पुतला हूँ...दिल भी है.. धड़कता ..
इच्छाएं हैं उमंगें भी.. इतना भी..तू..जाने नहीं ||

------------------अलका गुप्ता ---------------------

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें