मंगलवार, 15 अक्तूबर 2013



संकलित अनुभूतियों के ये जीवन धन|
भाव कोमल कभी कठोर से अद्भुत क्षन ||

हास विहास कभी दर्द गुंजित शब्द थे |
अवसाद पूर्ण कभी आस मिलन गूढ थे ||

हाथ-पांव थे मारते जीवन संघर्ष सब |
चिंतन मनन कभी अभिज्ञान शाकुंतलम ||

उतरता था प्रेमी...कभी विरही मन |
शब्द-शब्द छूते कभी निचोड़ते अंतर्मन ||

उड़ाने लगे उन्हें आज...आंदोलित कर |
समय के विचलित से ये झंझावाती पवन ||

उड़ चला मन विकल उन्हीं पन्नों के संग |
उभरने लगे अनुभूतियों के फिर वही क्षन ||

उकेरे थे शब्द जो अनुभूतियों के..डायरी संग |
हो रही हैं यादें बेचैन फिर वही लगने को अंग ||

उड़ चले पंछी से ..पन्नों में स्मृतियों के..वे छल|
गुम्फन सा उलझा मन..विश्मित उसी माया बल ||

---------------------अलका गुप्ता ------------------------

रविवार, 13 अक्तूबर 2013

जगत जननी माँ सर्वज्ञे जगदम्बे भवानी !
महामाये माँ हस्त शंख चक्र गदा धारनी !
हे पद्मासिने परब्रह्मस्वरूपणी देवी परमेशरी..
इष्टसिद्धि हेतु करो कृपा सर्वकार्य विधायिनी ||

------------------अलका गुप्ता -------------------
विजयदशमी की मित्रों !.. हार्दिक शुभकामनाएँ |
तजें बुराई सारी हम हों सर्वोत्तम !.. सब भावनाएँ ||

---------------------अलका गुप्ता ------------------------

बुधवार, 2 अक्तूबर 2013

महाप्रयाण
अंतहीन प्रवास
अंतिम यात्रा ....१

भव-सागर
महा माया जंजाल
यात्रा कागार ....२

पुनर्जन्म है
नव यात्रा आगाज
मृत्यु विश्राम ....३

-----अलका गुप्ता -----