शुक्रवार, 9 सितंबर 2022

ये तस्वीर क्या कहती है _

शीर्षक_झमेला भूख का 

जन्म से मृत्यु पर्यन्त इसे
झेला ही झेला है । 
भूख है जिंदा भूख का ही
सारा झमेला है ॥ 

टूट गई कमर..उम्र की
दोहरी हुई बेशक...
उड़ गए परिंदे..मुकाम पर 
कब्र की..तू अकेला है ॥ 

आग है यही दोजख की  
ऐ ख़ुदा तूने ही धकेला है। 
कोई नहीं किसी का...
हर कोई यहाँ अकेला है ॥ 

बुझ गई आज..कल का
फ़िर यही झमेला है। 
धरें आधार कर्म के..जुड़े 
विधि विधान ये मेला है ॥
 
तुझे न मुझे ..ले जाना...
हाथ नहीं एको धेला है ।
हैं पेट के ताम झाम..चले
इसी पे..सारा खेला है ॥ 

______अलका गुप्ता 'भारती'__