गुरुवार, 8 जनवरी 2015

~~~~अभिलाषा~~~~



~~~~अभिलाषा~~~~
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अंघकार विराट...जब.. छा जाए |
मानव हे ! मन जब..घबरा जाए ||
प्रज्वलित शिखा मेरी तुम कर देना |
जलजल तन ये चाहें पिघल जाए ||
अभिलाषा उर में ...बस इतनी ही ..
हर तन-मन प्रकाशित सा दमकाए ||
हो विलग मनहूस अँधेरे....भागें दूर ..
जीवन का हर क्षन रौशन हुलसाए ||
मैं शम्मा हूँ तन्हा ..ही जल जाऊँगी |
जीवन से जला हर तन्हाई जाऊँगी ||
---------------अलका गुप्ता----------------

सोमवार, 5 जनवरी 2015

परमात्मा

ईश ! वही परमपिता परमात्मा..एक है !
आत्मा प्रकृति ..रूप परिवर्तित अनेक है !
स्वामी एक वही सबका..अजर अमर वो..
घट-घट..व्यापी न्यायी उपकारी नेक है !!
----------------‪#‎अलका‬ गुप्ता----------------