शनिवार, 23 अगस्त 2014

मैं मैं करता मैं मरा ,सब कुछ यहाँ समाय |
मैं मारा..मन को जरा , तुझ में गया विलाय ||(१)

मेरा मुझको चाहिए , हक़ में जितना आय |
कायर सा भी क्या जियूँ ,हक़ अपना मरवाय ||(2)

-------------------अलका गुप्ता-------------------

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