मंगलवार, 30 अप्रैल 2013

कवि-मन



कवि-मन सृजक मानवता का|
अनुपम इतिहास रचाता |
नित नूतन निर्मल गूढ़ उद्गार जगाता |
कर भावों का श्रृंगार....
शब्द से वधु कविता सजाता |
अनुपम सौन्दर्य युक्त...
जनक कल्पनाओं का |
कभी शब्दों का सौदागर
वह बन जाता |
रचता कामायनी कभी...
मधुशाला सी जाम छलकाता |
शब्द जाल में मीन सा...
भावुक ह्रदय फंसाता...वह तड़पाता |
अद्भुत कभी विहंगम...
विस्मृत मन्त्रमुग्ध दृश्य सजाता |
विद्रूप सा अक्सर दर्पण भी दिखाता |
शब्द-भावों की कर उठा पटक...
अद्भुत अनुपम खेल खिलाता |
कवि-मन की प्रसव-पीड़ा से
जन्मी रचना को ...
हर सुधी मन पुलकित हो
पलक-पांवडों में झुलाता |
शब्दों का खिलाड़ी वह...
हर भावों में ढल मन को नाचाता |
कवि-मन कोमल सहृदय चिंतन...
मनन गढ़न सुन्दर कृति सा |
कवि-मन की सलोनी रस मय कविता |
मौसम काल गीत सा हर पल गाता |
निःशेष शेष सी हर भाषा हर मन में वह रम जाता |

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