शनिवार, 29 दिसंबर 2012


(१)   हौसलों की उड़ान  


झुर्रियाँ जब मुस्काने लगें |
दीवानों की तरह |
साथ तुम देना ...दिल 
परवानों की तरह ||

वक्त जब यादों में ....
इतिहास के ढलने लगे |


अरमान तुम मन को 
समझा लेना संभल कर ||




तारे जमीं पर ....
रूठने लगें जब |

हौंसलों उड़ान तुम ....
भर देना आसमानों में ||

समेटने लगे मौत भी जब 
आगोश में ...."अलका" |

गीत जिन्दगी के ..... 
गुनगुना लेना तुम हँसकर ||


  

(२)   शब्द

शब्द अनायास ही दौड़ने लगे ।
क्यूँ कभी मन को कचोटने लगे ।
बांध ह्रदय का उमड़ने लगा |
घटा अचानक बरसने लगी ।
तीर से शब्द कभी चुभने लगे ।
घाव गंभीर करने लगे ....। 



व्यथा बन नदी सी बहने लगे
अधीर हो सागर में ज्वार से...
मन को उफनाने लगे.....।



क्या करिश्मा शब्द का जो...
शांत मन ..कभी स्थिर सा ।
कभी हंसाने गुदगुदाने लगे ।



जब भरे जोश में ....तो....
देश हित.... में योद्धा .....
जान अपनी ....लुटाने लगे ।


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